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रीट में बोनस अंक देने से प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को होगा नुकसान !

हाल ही में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने डिलिट किये गये सभी प्रश्नों के बोनस अंक दिए जाने की घोषणा की है। इससे पूर्व बोर्ड ने डिलिट किये गये प्रश्नों के अंक उसी खंड में समान रूप से विभाजित करने की घोषणा की थी जो कि एक सराहनीय कदम था। चूंकि रीट में नेगेटिव मार्किंग नहीं थी अत: समान अंक विभाजन प्रणाली
द्वारा दशमलव के चार अंकों तक मेरिट बनती जो कि चयन प्रक्रिया में निर्विवाद सिद्ध होती। लेकिन अब बोनस अंक दिये जाने से एक ही प्राप्तांक पर हजारों अभ्यर्थी होंगे। ऐसे में चयन हेतू बोर्ड की मुश्किलें तो बढेंगी ही वरन्  भ्रष्टाचार के रास्ते भी खुल जायेंगे। यदि उम्र को तरजीह दी गई तो सर्वाधिक नुकसान कम उम्र के अभ्यर्थियों को होगा जबकि उनकी मानसिक योग्यता अन्य की तुलना में अधिक होगी।
दूसरी ओर बोनस अंक उन अभ्यर्थियों के लिए नुकसानदायक सिद्ध होंगे जिनके कि अधिक प्रश्न सही थे।
इसे इस प्रकार समझा जा सकता है –
मान लीजिए राम व श्याम दोनों ने लेवल प्रथम का पेपर दिया जिसमें कि हिंदी भाषा में 5 प्रश्नों को डिलिट किया गया है। राम ने कुल 21 प्रश्न तथा श्याम ने कुल 22 प्रश्न इस खंड में सही किए हैं। यदि 5 अंक बोनस दिये जायें तो उनके प्राप्तांक क्रमश: 26 व 27 होंगे। अर्थात् दोनों में एक अंक का अंतर ही बरकरार रहेगा जबकि
यदि 5 अंक को बाकी के प्रश्नों में समान रूप से बांटा जाये तो हिंदी का प्रत्येक प्रश्न 1.2 अंक का होगा। अब राम के प्राप्तांक 21 X 1.2 = 25.2 होंगे तथा श्याम के अंक 22 X 1.2 = 26.4 होंगे । अर्थात् अब दोनों का अंतर 1.2 अंक हो जायेगा। अत: अधिक अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थी को ही अधिक लाभ मिलेगा।
 इस प्रकार बोर्ड का यह फैसला प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों के लिए कुठाराघात ही सिद्ध होगा। अत: बोर्ड द्वारा सर्वाधिक योग्यता के चयन एवं युवा प्रतिभाओं के हितार्थ समान अंक विभाजन की पूर्व योजना ही लागू की जानी चाहिए।
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