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पीजी से करा दी बीएड, अब शर्त लगा दी ग्रेजुएशन में 50% वाले ही बनेंगे शिक्षक

जयपुर/अजमेर. आरटेट के आधार पर शिक्षक भर्ती में कानूनी अड़चन से बचने के लिए सरकार ने भले ही इसका नाम बदलकर रीट कर दिया हो, लेकिन विवाद अब भी पीछा नहीं छोड़ रहे। सरकार ने बीएड इस आधार पर कराई कि स्नातक में 50% अंक नहीं हैं तो स्नातकोत्तर में इतने प्राप्तांक के आधार पर बीएड कर सकते हैं। लेकिन अब शिक्षक भर्ती में शर्त लगा दी है कि ग्रेजुएशन में 50% अंक वाले ही रीट में शामिल हो सकेंगे।
ऐसे में स्नातक में 50% से कम अंक वाले हजारों बीएड धारी परीक्षा से वंचित हो गए हैं। उनका कहना है कि जब बीएड ही पीजी के आधार पर कराई तो उन्हें रीट में भी इसी आधार पर शामिल किया जाए। ये लोग अब कोर्ट जाने का मन बना रहे हैं। वहीं बोर्ड अध्यक्ष बीएल चौधरी ने कहा-स्नातकोत्तर विद्यार्थियों की परेशानी पर सरकार से मार्गदर्शन मांगा है। शेष | पेज 6
गौरतलब है कि रीट के आवेदन की अंतिम तिथि 16 दिसंबर है। इसके जरिये तृतीय श्रेणी शिक्षकों के 15 हजार पद भरे जाने हैं। रोजगार शिक्षक संघ के अध्यक्ष दीपेंद्र शर्मा का कहना है कि सरकार पीजी के प्राप्तांक के आधार पर बीएड कोर्स करा सकती है तो बीएड के बाद ऐसे अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती में शामिल होने का मौका भी मिलना चाहिए। हम इस मामले को कोर्ट में लेकर जाएंगे।

इस भर्ती से बाहर, लेकिन व्याख्याता भर्ती के योग्य : सभी बीएड धारी अभ्यर्थी व्याख्याता भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं, चाहे उन्होंने पीजी या ग्रेजुएशन के आधार पर बीएड किया हो। लेकिन बीएड के साथ पीजी होना जरूरी है। इस कारण पीजी के बाद बीएड करने वाले भले ही तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती से बाहर हो गए, लेकिन व्याख्याता भर्ती के लिए योग्य हैं। इस समय 13098 व्याख्याताओं के पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है।

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