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फैलता रहा फर्जीवाड़ा : राजस्थान शिक्षकों का ब्लॉग

जयपुर लगता है इस देश में कानून का थोड़ा-बहुत भी राज है तो अदालतों की वजह से। ये ना हों तो राजनेताओं-अधिकारियों के गठजोड़ से पनपने वाली अंधेरगर्दी नजर ही नहीं आए। बीते दशक की घटनाओं पर नजर डालें तो घोटालों के अलावा कुछ दिखाई ही नहीं देता। बड़े पैमाने पर 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला रहा हो, कोल ब्लाक्स आवंटन का घोटाला अथवा कॉमनवेल्थ खेल घोटाला। 

छोटे पैमाने पर महाराष्ट्र में आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला, हरियाणा में शिक्षक भर्ती घोटाला अथवा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की आय से अधिक सम्पत्ति का मामला। घोटाले सामने आए और ए. राजा, कनिमोझी, जयललिता, ओम प्रकाश चौटाला सरीखे नेताओं को हवालात की हवा खानी पड़ी तो इसके पीछे अदालतों की सक्रियता ही मानी जाएगी। 

दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेन्द्र तोमर को भी कुर्सी छोड़नी पड़ी। राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में धांधली का पर्दाफाश भीअदालती दखलंदाजी से ही हुआ। अब बिहार में फर्जी डिग्रियों का घोटाला सामने आ रहा है। पटना हाईकोर्ट ने फर्जी  डिग्री के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों से अपने आप नौकरी छोड़ देने को कहा है।

इसके लिए आठ जुलाई की तिथि नियत की है लेकिन उससे पहले ही डेढ़ हजार शिक्षकों ने इस्तीफा दे दिया। अब शिक्षा विभाग ने फर्जी प्रमाणपत्र से नौकरी कर रहे शिक्षकों से इस्तीफा देने को कहा है। वरना उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। साथ ही सेवा समाप्त कर अब तक मिला वेतन वसूलने की कार्रवाई भी होगी। 

गौर करने की बात ये है कि फर्जी योग्यता को लेकर पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर न की गई होती तो क्या इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ होता? सरकारी सेवा में भर्ती  से पहले क्या सम्बंधित विभागों को डिग्रियों की जांच नहीं करनी चाहिए? डिग्री का फर्जीवाड़ा जब इतने बड़े पैमाने पर फैल रहा है तो क्या शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह कड़ी जांच करे? फर्जी डिग्री हासिल करके शिक्षक बनने वाले लोग क्या छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर रहे? बिहार का मामला कोर्ट में गया तो गड़बड़झाले की कलई खुल गई।

देश के सभी राज्यों में इस तरह की जांच-पड़ताल की जाए तो बड़ा खुलासा हो सकता है। आए दिन सामने आने वाले घोटालों को उजागर करने में भी न्यायालयों की भूमिका ही नजर आती है। सरकारी महकमे तो मानो सब कुछ जानते-बूझते उन पर पर्दा डालने की जुगत में ही लगे रहते हैं। 

फर्जी डिग्री हासिल करके शिक्षक बनने वाले लोग क्या छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर रहे? बिहार का मामला कोर्ट में गया तो गड़बड़झाले की कलई खुल गई।

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