राज्य सरकार की ओर से तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती का अधिकार पंचायतीराज विभाग को दे रखी है। भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों में राजस्थान के दस्तावेज की सीधी जांच होती है। वही अन्य राज्य के लिए शिक्षा अधिकारी के मार्गदर्शन में टीमें भेजकर सत्यापित कराया जाता है।
दस्तावेज जांच की प्रक्रिया अभ्यर्थी के परीवीक्षा काल मे ही किया जाता है। जिससे दो वर्ष के बाद स्थायीकरण के समय अयोग्य और गलत दस्तावेज से नौकरी प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को हटाया जा सके। ऐसे में इस पूरी प्रक्रिया के लिए पंचायतीराज विभाग के सीईओ और जिला शिक्षा अधिकारी मिलकर काम करते हैं। शिक्षा विभाग के पास वर्ष 2013, 2015, 2016 और 2017 में तृतीय श्रेणी शिक्षकों की ज्वॉइनिंग दी गई थी। ये शिक्षक पंचायतीराज विभाग के अन्तर्गत सीईओ की ओर से जारी आदेश पर कार्यभार ग्रहण किया था। ऐसे में बाहरी राज्यों से बीएड और एसटीसी करने वालों के दस्तावेज जांच के लिए शिक्षा विभाग को अलग-अलग राज्य की टीम बनाकर भेजना था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
स्थाईकरण से पहले होगी डिग्री की जांच : जिला परिषद सीईओ रुक्मणि रियाग ने वर्ष 2013 से 2017 तक के सभी अभ्यर्थियों के स्थायीकरण के आदेश जिला शिक्षा अधिकारी को दिए हैं। जिसमें ब्लॉकवार जारी आदेश में बाहरी राज्य की डिग्री से नौकरी करने वालो की सूचियां बनाने के आदेश भी दिए हैं। इसके लिए ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को संबंधित राज्य में दस्तावेज जांचने के लिए भेजा है। जिसके बाद सूचियों का निर्माण शुरू हो चुका है। वही राज्य से बीएड और बीएसटीसी योग्यताधारी के स्थाईकरण और वेतन नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
अन्य राज्य से बीएड और एसटीसी करने वाले अभ्यर्थियों की सूचियां तैयार हो चुकी है। इसके लिए अलग-अलग टीम का गठन हो चुका है। जल्द ही डिग्री जांच के लिए जाएंगे। वही अन्य शिक्षकों के स्थायीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। - मणिलाल छगण, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक डूंगरपुर।
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