तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए सरकार ने रीट के आवेदन भरवाने की घोषणा तो
कर दी। इस घोषणा के साथ ही कॉमर्स विषय से स्नातक के बाद बीएड करने वाले
अभ्यर्थियों के सामने परेशानी खड़ी हो गई है।
मामला समय रहते नहीं सुलझाया गया तो पिछली बार की तरह भर्ती को कोर्ट में चुनौती मिलने की संभावना बढ़ जाएंगी। दरअसल, कॉमर्स का आठवीं तक स्कूली शिक्षा में कोई विषय नहीं है। सरकार ने शिक्षक ग्रेड सेकंड भर्ती में भी इनके आवेदन सामाजिक विज्ञान विषय में भरवाए थे। अब शिक्षक ग्रेड थर्ड भर्ती के लेवल 2 में भर्ती विषय वाइज कर दी है। ऐसे में विषय के रूप में कॉमर्स से बीकॉम के बाद बीएड करने वाले विद्यार्थी किस विषय का चयन करेंगे। इस बारे में स्थिति साफ नहीं हो पाई है। प्रदेश में ऐसे करीब 2 लाख से ज्यादा और नागौर जिले में 3 हजार से ज्यादा ऐसे विद्यार्थी हैं। जिन्होंने स्नातक कॉमर्स से उत्तीर्ण की और उसके बाद बीएड की। दरअसल, रीट के आवेदन करते समय विद्यार्थियों को स्नातक के विषय के बारे में जिक्र करना आवश्यक है। वर्ष-2015 की भर्ती में भी कॉमर्स वाले विद्यार्थियों को सामाजिक विज्ञान विषय के जरिए आवेदन भरवाए गए थे। हालांकि, सरकार ने यह निर्णय काफी देर बाद लिया था। मामला अदालत में जाने के कारण कई परेशानियां भी हुई थी। इससे कई पात्र विद्यार्थी आवेदन करने से वंचित रह गए थे। स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण विद्यार्थी अपनी तैयारी भी नहीं कर पा रहे हैं। डर यह है कि सरकार ने मौका नहीं दिया तो उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। प्रदेश में रीट के लिए 6 नवंबर से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी। इस बार 35 हजार पदों पर भर्ती होना प्रस्तावित है।
^यह निर्णय सरकार के स्तर से होना है कि कॉमर्स वाले विद्यार्थियों को किस विषय से आवेदन कराए जाएं? अभी हमारे पास इस बारे में कोई निर्देश नहीं हैं। बीएलचौधरी, चेयरमैन, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान
कॉमर्स से स्नातक के बाद बीएड करने वाले अभ्यर्थियों के पास विकल्प यह है कि वे अभी से सरकार के स्तर पर बातचीत करें। ताकि समय रहते समस्या का निपटारा हो सके। इसके लिए मंत्री से मिलने के बाद ही कुछ संभावना बन सकती है। एक चुनौती यह भी रहेगी कि सामाजिक विज्ञान में चयनित होने वालों को कॉमर्स से चयनित होने वाले विद्यार्थी के संबंध में कोर्ट में चैलेंज करने का पूरा मौका रहेगा। क्योंकि कॉमर्स वालों के पास मूल विषय ही नहीं है। ऐसे में सरकार को शुरुआत में ही यह निर्णय करना जरूरी होगा।
^कॉमर्स से स्नातक के बाद बीएड करने वाले विद्यार्थी असमंजस की स्थिति में हैं। सरकार को शुरुआत में ही स्थिति स्पष्ट कर इनके बारे में विचार करना चाहिए। कोर्ट में मामले जाने के बाद अनावश्यक विलंब होता है। अर्जुनरामलोमरोड़, जिलाध्यक्ष, शिक्षक संघ शेखावत
मामला समय रहते नहीं सुलझाया गया तो पिछली बार की तरह भर्ती को कोर्ट में चुनौती मिलने की संभावना बढ़ जाएंगी। दरअसल, कॉमर्स का आठवीं तक स्कूली शिक्षा में कोई विषय नहीं है। सरकार ने शिक्षक ग्रेड सेकंड भर्ती में भी इनके आवेदन सामाजिक विज्ञान विषय में भरवाए थे। अब शिक्षक ग्रेड थर्ड भर्ती के लेवल 2 में भर्ती विषय वाइज कर दी है। ऐसे में विषय के रूप में कॉमर्स से बीकॉम के बाद बीएड करने वाले विद्यार्थी किस विषय का चयन करेंगे। इस बारे में स्थिति साफ नहीं हो पाई है। प्रदेश में ऐसे करीब 2 लाख से ज्यादा और नागौर जिले में 3 हजार से ज्यादा ऐसे विद्यार्थी हैं। जिन्होंने स्नातक कॉमर्स से उत्तीर्ण की और उसके बाद बीएड की। दरअसल, रीट के आवेदन करते समय विद्यार्थियों को स्नातक के विषय के बारे में जिक्र करना आवश्यक है। वर्ष-2015 की भर्ती में भी कॉमर्स वाले विद्यार्थियों को सामाजिक विज्ञान विषय के जरिए आवेदन भरवाए गए थे। हालांकि, सरकार ने यह निर्णय काफी देर बाद लिया था। मामला अदालत में जाने के कारण कई परेशानियां भी हुई थी। इससे कई पात्र विद्यार्थी आवेदन करने से वंचित रह गए थे। स्थिति स्पष्ट नहीं होने के कारण विद्यार्थी अपनी तैयारी भी नहीं कर पा रहे हैं। डर यह है कि सरकार ने मौका नहीं दिया तो उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। प्रदेश में रीट के लिए 6 नवंबर से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी। इस बार 35 हजार पदों पर भर्ती होना प्रस्तावित है।
^यह निर्णय सरकार के स्तर से होना है कि कॉमर्स वाले विद्यार्थियों को किस विषय से आवेदन कराए जाएं? अभी हमारे पास इस बारे में कोई निर्देश नहीं हैं। बीएलचौधरी, चेयरमैन, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान
कॉमर्स से स्नातक के बाद बीएड करने वाले अभ्यर्थियों के पास विकल्प यह है कि वे अभी से सरकार के स्तर पर बातचीत करें। ताकि समय रहते समस्या का निपटारा हो सके। इसके लिए मंत्री से मिलने के बाद ही कुछ संभावना बन सकती है। एक चुनौती यह भी रहेगी कि सामाजिक विज्ञान में चयनित होने वालों को कॉमर्स से चयनित होने वाले विद्यार्थी के संबंध में कोर्ट में चैलेंज करने का पूरा मौका रहेगा। क्योंकि कॉमर्स वालों के पास मूल विषय ही नहीं है। ऐसे में सरकार को शुरुआत में ही यह निर्णय करना जरूरी होगा।
^कॉमर्स से स्नातक के बाद बीएड करने वाले विद्यार्थी असमंजस की स्थिति में हैं। सरकार को शुरुआत में ही स्थिति स्पष्ट कर इनके बारे में विचार करना चाहिए। कोर्ट में मामले जाने के बाद अनावश्यक विलंब होता है। अर्जुनरामलोमरोड़, जिलाध्यक्ष, शिक्षक संघ शेखावत
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